हरिहरपुरी विरचित

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हरिहरपुरी विरचित            दुर्मिल सवैया रहना मन में बसना उर में, कहती रहना हर बात सखी। मनभावन हो प्रिय पावन तू,सद्भावन को नयना निरखी। तुझको सब में सब को तुझ में, तव ...

अध्याय

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